कदमो से कदमो के निशान मत छीनो,
मुझसे मेरी पहचान मत छीनो ,
चकाचौंध शहर की स्वार्थी कर देगी मुझे ,
मुझसे मेरे गांव का स्वाभिमान मत छीनो,
मैं मरने के बाद भी जीना चाहता हूँ
दुसरो के हिस्से का गम भी पीना चाहता हूँ
मुस्कराहट आ जाये किसी मजबूर के चेहरे पर मुझे देख कर
उसके फटे अंतर्मन को सीना चाहता हूँ ।
To Be Continued...
मुझसे मेरी पहचान मत छीनो ,
चकाचौंध शहर की स्वार्थी कर देगी मुझे ,
मुझसे मेरे गांव का स्वाभिमान मत छीनो,
मैं मरने के बाद भी जीना चाहता हूँ
दुसरो के हिस्से का गम भी पीना चाहता हूँ
मुस्कराहट आ जाये किसी मजबूर के चेहरे पर मुझे देख कर
उसके फटे अंतर्मन को सीना चाहता हूँ ।
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