Wednesday, 1 October 2014

कैसे जलाये रखें अपने अन्दर की चिंगारी को ?


ज़िन्दगी  में  ऐसे  कुछ  ही  दिन  होते  हैं  जब  इंसान  सच -मुच बहुत  खुश  होता  है . College का  पहला  दिन  उन्ही  में  से  एक  है .जब   आज   आप   तैयार  हो  रहे  थे , आपके  पेट  में  हलचल सी हुई होगी . Auditorium कैसा  होगा , teachers कैसे  होंगे , मेरे  नए  classmates कौन  होंगे —इतना  कुछ  है  curious होने  के  लिए . . मैं  इसे  excitement कहता  हूँ , आपके  अन्दर  कि  चिंगारी  (spark) जो  आपको  एकदम  जिंदादिल  feel कराती  है . आज  मैं  आपसे  इस  चिंगारी  को  जलाये  रखने  के  बारे  में  बात  करने  आया  हूँ . या  दुसरे  शब्दों  में  हम  अगर  हमेशा  नहीं  तो   ज्यादा  से  ज्यादा  समय  कैसे  खुश  रह  सकते  हैं ?
इस  चिंगारी  कि  शुरआत कहाँ  से  होती  है ? मुझे  लगता  है  हम  इसके  साथ  पैदा  होते  हैं .  मेरे   3 साल  के  जुड़वाँ  बच्चों  में  million sparks हैं . वो  Spiderman का  एक  छोटा  सा  खिलौना  देख  के  बिस्तर  से  कूद  पड़ते  हैं .  Park में  झूला  झूल  के  वो  thrilled हो  जाते  हैं . पापा  से  एक  कहानी  सुनके  उनमे  उत्तेजना  भर  जाती  है . अपना  Birthday आने  के  महीनो  पहले  से  वो  उलटी  गिनती  करना  शुरू   कर  देते  हैं  कि  उस  दिन  cake काटने  को  मिलेगा .
मैं  आप  जैसे  students को  देखता  हूँ  और  मुझे  आपके  अन्दर   भी  कुछ  spark नज़र  आता  है . पर  जब  मैं  और  बड़े  लोगों  को  देखता  हूँ  तो  वो  मुश्किल  से  ही  नज़र  आता  है . इसका  मतलब  , जैसे -जैसे  हमारी  उम्र  बढती  है  , spark कम  होते  जाते   हैं . ऐसे  लोग  जिनमे  ये  चिंगारी  बिलकुल  ही  ख़तम   हो  जाती  है  वो  मायूस , लक्ष्यरहित और  कडवे  हो  जाते  हैं . Jab We met के  पहले  half की  करीना  और  दुसरे  half की   Kareena याद  है  ना ? चिंगारी  बुझ  जाने  पे  यही  होता  है . तो  भला  इस  Spark को  बचाएँ  कैसे ?
Spark को  दिए  की  लौ  की  तरह  imagine कीजिये . सबसे  पहले  उसे  nurture करने  ki ज़रुरत  है —उसे  लगातार  इंधन  देने   की  ज़रुरत  है . दूसरा , उसे  आन्धी -तूफ़ान  से  बचाने  की  ज़रुरत  है .
Nurture करने  के   लिए , हमेशा  लक्ष्य  बनाएं .यह  इंसान  कि  प्रवित्ति  होती  है  कि  वह  कोशिश  करे , सुधार  लाये  और  जो  best achieve कर  सकता  है  उसे  achieve करे .  दरअसल  इसी  को  Success कहते  हैं . यह  वो  है  जो  आपके  लिए  संभव  है . ये  कोई  बाहरी   माप -दंड  नहीं  है – जैसे  company द्वारा  दिया  गया  Package, कोई  car या  कोई  घर .
हममे  से  ज्यदातर  लोग  middle-class family से   हैं . हमारे  लिए   , भौतिक  सुख -सुविधाएं  सफलता  की  सूचक  होती  हैं , और  सही भी  है . जब  आप  बड़े  हो  जाते  हैं  और  पसिया  रोज़ -मर्रा  कि  ज़रूरतों  को  पूरा  करने  के  लिए  ज़रूरी  हो जाता  है , तो  ऐसे  में  financial freedom होना  एक  बड़ी  achievement है .
लेकिन   यह  ज़िन्दगी  का  मकसद  नहीं  है .  अगर  ऐसा  होता  तो  Mr. Ambani काम  पर  नहीं  जाते . Shah Rukh Khan घर  रहते  और  और -ज्यादा  dance नहीं  करते . Steve Jobs और  भी  अच्छा  iPhone बनाने  के  लिए  मेहनत  नहीं  करते  , क्योंकि  Pixar बेच  कर   already उन्हें  कई  billion dollars मिल  चुके  हैं .  वो  ऐसा  क्यों  करते  हैं ? ऐसा  क्या  है  जो  हर  रोज़  उन्हें  काम  पर  ले  जाता  है ?
वो  ऐसा  इसलिए  करते  हैं  क्योंकि  ये  उन्हें  ख़ुशी  देता  है . वो  ऐसा  इसलिए  करते  हैं  क्योंकि  ये  उन्हें  जिंदादिली  का  एहसास  करता  है . अपने  मौजूदा  स्तर  में  सुधार  लाना  एक  अच्छा  अहसास  दिलाता  है . अगर  आप  मेहनत  से  पढ़ें  तो  आप  अपनी  rank सुधार  सकते  हैं . अगर  आप  लोगों  से  interact करने  का  प्रयत्न  करें  तो  आप  interview में  अच्छा  करेंगे . अगर  आप  practice करें  तो  आपके  cricket में  सुधार  आएगा . शायद  आप  ये  भी  जानते  हों कि  आप  अभी  Tendulkar नहीं  बन  सकते  , लेकिन  आप  अगले  स्तर  पर   जा  सकते  हैं . अगले  level पे  जाने  के  लिए  प्रयास  करना ज़रूरी  है .
प्रकृति   ने  हमें   अनेकों  genes के  संयोग  और  विभिन्न  परिस्थितियों  के  हिसाब  से  design किया  है . खुश  रहने  के  लिए  हमें  इसे  accept करना  होगा , और  प्रकृति  कि  इस  design का अधिक  से  अधिक  लाभ  उठाना  होगा . ऐसा  करने  में  Goals आपकी  मदद  करेंगे .
अपने  लिए  सिर्फ  career या  academic goals ही  ना  बनाएं . ऐसे  goals बनाएं  जो  आपको  एक balanced और  successful life दे . अपने  break-up के  दिन  promotion पाने  का  कोई  मतलब  नहीं  है . कार  चलाने  में  कोई  मज़ा   नहीं  है  अगर  आपके  पीठ में दर्द हो .दिमाग  tension से  भरा  हो  तो भला  shopping करने  में  क्या  ख़ुशी होगी ?
आपने  ज़रूर  कुछ  quotes पढ़े  होंगे  —  ज़िन्दगी  एक  कठिन  race है , ये  एक  marathon है  या  कुछ  और . नहीं , जो  मैंने  आज  तक  देखा  है  ज़िन्दगी  nursery schools में  होने  वाली  उस  race की  तरह  है  जिसमे  आप  चम्मच  में  रखे  मार्बल  को  अपने  मुंह  में  दबा  कर  दौड़ते  हैं . अगर  मार्बल  गिर  जाये  तो  दौड़  में  first आने  का  कोई  अर्थ  नहीं  है . ऐसा  ही  ज़िन्दगी  के  साथ  है  जहाँ  सेहत  और  रिश्ते  उस  मार्बल  का  प्रतीक  हैं . आपका  प्रयास  तभी  सार्थक  है  जब   तक  वो   आपके  जीवन  में  सामंजस्य  लाता  है .नहीं  तो , आप  भले  ही  सफल  हो  जायें , लेकिन  ये  चिंगारी , ये  excited और  जिंदा  होने  की  feeling धीरे – धीरे  मरने  लगेगी . …..
Spark को  nurture करने  के  बारे  में  एक  आखिरी  चीज —ज़िन्दगी  को  संजीदगी  से  ना  लें ….don’t take life seriously. मेरे  एक  योगा  teacher class के  दौरान  students को  हंसाते  थे . एक  student ने  पूछा  कि  क्या  इन  Jokes कि  वजह  से  योगा   practice का  समय  व्यर्थ  नहीं  होता ? तब  teacher ने  कहा  – Don’t be serious be sincere. तबसे  इस  Quote ने  मेरा  काम  define किया  है . चाहे  वो  मेरा  लेखन  हो , मेरी  नौकरी  हो , मेरे  रिश्ते  हों  या  कोई  और  लक्ष्य . मुझे  अपनी  writings पर  रोज़  हज़ारों  लोगों  के  opinions मिलते  हैं . कहीं  खूब  प्रशंशा  होती  है  कहीं  खूब  आलोचना . अगर  मैं  इन  सबको  seriously ले  लूं , तो  लिखूंगा  कैसे ? या  फिर  , जीऊंगा  कैसे ?ज़िन्दगी  गंभीरता  से  लेने  के  लिए  नहीं  है , हम  सब  यहाँ  temporary हैं .हम  सब  एक  pre-paid card की  तरह  हैं  जिसकी  limited validity hai. अगर  हम  भाग्यशाली  हैं  तो  शयद  हम   अगले  पचास  साल  और  जी  लें . और  50 साल  यानि सिर्फ  2500 weekends .क्या  हमें  सच -मुच  अपने  आप  को  काम  में  डुबो  देना  चाहिए ? कुछ  classes bunk करना , कुछ  papers में  कम  score करना  , कुछ  interviews ना  निकाल  पाना , काम  से  छुट्टी  लेना , प्यार   में  पड़ना , spouse से  छोटे -मोटे  झगडे  होना …सब  ठीक  है …हम  सभी  इंसान  हैं , programmed devices नहीं ….
मैंने  आपसे  तीन  चीजें  बतायीं – reasonable goals, balance aur ज़िन्दगी  को  बहुत  seriously नहीं  लेना – जो  spark को  nurture करेंगी .  लेकिन  ज़िन्दगी  में  चार  बड़े  तूफ़ान  आपके  दिए  को  बुझाने  की  कोशिश  करेंगे . इनसे  बचने  बहुत  ज़रूरी  है . ये  हैं  निराशा  (disappointment),कुंठा ( frustration),  अन्याय (unfairness) और जीवन में कोई उद्देश्य ना होना (loneliness of purpose.)
निराशा  तब  होगी  जब  आपके  प्रयत्न  आपको  मनचाहा  result ना  दे  पाएं  . जब  चीजें  आपके  प्लान  के  मुताबिक  ना  हों  या  जब  आप  असफल  हो जायें . Failure को  handle करना  बहुत  कठिन  है , लेकिन  जो  कर  ले  जाता  है  wo और  भी  मजबूत  हो  कर  निकलता  है . इस  failure से  मुझे  क्या  सीख  मिली ?  इस  प्रश्न  को  खुद  से  पूछना  चाहिए . आप  बहुत  असहाय  feel करेंगे   , आप  सबकुछ  छोड़  देना  चाहेंगे  जैसा  कि  मैंने  चाहा   था  , जब  मेरी  पहली  book को  9 publishers ने  reject कर  दिया  था . कुछ  IITians low-grades की  वजह  से  खुद  को  ख़तम कर  लेते  हैं , ये  कितनी  बड़ी   बेवकूफी  है ? पर  इस  बात  को  समझा  जा  सकता  है  कि  failure आपको  किस  हद्द  तक  hurt कर  सकता  है .
पर ये ज़िन्दगी है . अगर चुनौतियों  से हमेशा पार पाया जा सकता तो , तो चुनौतियाँ चुनौतियाँ नहीं रह जातीं. और याद रखिये — अगर आप किसी चीज में fail हो रहे हैं,तो इसका मतलब आप अपनी सीमा या क्षमता तक पहुँच रहे हैं. और यहीं आप होना चाहते हैं.
Disappointment का भाई है  frustration, दूसरा तूफ़ान . क्या आप कभी frustrate  हुए हैं? ये तब होता है जब चीजें अटक जाती हैं. यह भारत में विशेष रूप से प्रासंगिक है. ट्राफिक जाम से से लेकर अपने योग्य job पाने तक. कभी-कभी चीजें इतना वक़्त लेती हैं कि आपको पता नहीं चलता की आपने अपने लिए सही लक्ष्य निर्धारित किये हैं.Books लिखने के बाद, मैंने bollywood के लिखने का लक्ष्य बनाया, मुझे लगा उन्हें writers  की ज़रुरत है. मुझे लोग बहुत भाग्यशाली मानते हैं पर मुझे अपनी पहली movie release  के करीब पहुँचने में पांच साल लग गए.
Frustration excitement  को ख़त्म करता है, और आपकी उर्जा को नकारात्मकता में बदल देता है, और आपको कडवा बना देती है.मैं इससे कैसे deal  करता हूँ? लगने वाले समय का realistic अनुमान लगा के. . भले ही movie  देखने में कम समय लगता हो पर उसे बनाने में काफी समय लगता है, end-result  के बजाय उस result तक पहुँचने के  प्रोसेस को एन्जॉय करना , मैं कम से कम script-writing तो सीख रहा था , और बतौर एक  side-plan  मेरे पास अपनी तीसरी किताब लिखने को भी थी और इसके आलावा दोस्त, खाना-पीना, घूमना ये सब कुछ frustration से पार पाने में मदद करती हैं. याद रखिये, किसी भी चीज को  seriously  नहीं लेना है.Frustration  , कहीं ना कहीं एक इशारा है कि आप चीजों को बहुत seriously ले रहे हैं.Frustration excitement को  ख़तम  करता  है , और  आपकी  energy को  negativity में  बदल  देता  है , वो  आपको  कडवा  बना  देता  है . मैं  इससे  कैसे  deal करता  हूँ ?
Unfairness ( अन्याय ) – इससे  deal करना  सबसे  मुश्किल  है , लेकिन  दुर्भाग्य  से  अपने  देश  में  ऐसे  ही  काम  होता  है . जिनके  connections होते  हैं , बड़े  बाप  होते  हैं , खूबसूरत  चेहरे  होते  हैं ,वंशावली  ( pedigree) होती  है , उन्हें   सिर्फ  Bollywood में  ही  नहीं  बल्कि  हर  जगह  आसानी  होती  है . और  कभी -कभी  यह  महज  luck की  बात  होती  है . India में  बहुत  कम   opportunities हैं , इसलिए   कुछ  होने  के  लिए  सारे  गृह -नक्षत्रों  को  सही  इस्थिति  में  होना   होगा . Short-term में  मिलने  वाली  उपलब्धियां  भले  ही  आपकी   merit और  hard –work  के  हिसाब  से   ना  हों  पर  long-term में  ये   ज़रूर  उस  हिसाब  से  होंगी , अंततः   चीजें  work-out करती  हैं . पर  इस  बात  को  समझिये  कि  कुछ  लोग  आपसे  lucky होंगे .
दरअसल  अगर  Indian standards के  हिसाब  से  देखा  जाये  तो  आपको  College में  पढने  का  अवसर  मिलना  , और  आपके  अन्दर  इस  भाषण  को  English में  समझने  की   काबिलियत  होना  आपको  काफी  lucky बनता  है . हमारे  पास  जो  है  हमें  उसके  लिए  अहसानमंद  होना  चाहिए  , और  जो  नहीं  है  उसे  accept करने  कि  शक्ति  होनी  चाहिए .  मुझे  अपने  readers से  इतना  प्यार  मिलता  है  कि  दुसरे  writers उसके  बारे  में  सोच  भी  नहीं  सकते . पर  मुझे  साहित्यिक प्रशंशा  नहीं  मिलती  है . मैं  Aishwarya Rai की  तरह  नहीं  दीखता  हूँ  पर  मैं  समझता  हूँ   कि   मेरे  दोनों  बेटे   उनसे  ज्यादा  खूबसूरत  हैं . It is OK . Unfairness को  अपने  अन्दर  कि  चिंगारी  को  बुझाने  मत  दीजिये .
और  आखिरी  चीज  जो  आपके  spark को  ख़तम  कर  सकती  है  वो  है  Isolation( अलग होने की स्थिति ) आप  जैसे  जैसे  बड़े   होंगे  आपको  realize होगा  कि  आप  unique हैं . जब  आप  छोटे  होते  हैं  तो  सभी  को  ice-cream और  spiderman अच्छे  लगते  हैं . जब  आप  college में  जाते  हैं  तो  भी  आप  बहुत  हद  तक  अपने   बाकी  दोस्तों  की  तरह  ही  होते  हैं . लेकिन  दस  साल  बाद  आपको  पता  लगता  है  कि  आप   unique हैं . आप  जो  चाहते  हैं , आप  जिस  चीज  में  विश्वास  राखते  हैं , वो  आपके  सबसे  करीबी  लोगों  से  भी  अलग  हो  सकती  है . इस  वजह  से  conflict हो  सकती  है  क्योंकि  आपके  goals दूसरों  से  match नहीं  करते . और  आप  शायद   उनमे  से  कुछ  को  drop कर  दें . College में  Basketball के  कप्तान  रह  चुके , दूसरा  बछा  होते -होते  ये  खेल  खेलना  छोड़  देते  हैं . जो चीज  उन्हें  इतनी  पसंद  थी  वो  उसे  छोड़  देते  हैं . ऐसा  वो  अपनी  family के  लिए  करते  हैं . पर  ऐसा  करने   में  Spark ख़तम  हो  जाता  है . कभी  भी  ऐसा  compromise ना  करें . पहले  खुद   को  प्यार  करें  फिर  दूसरों  को .
मैंने  आपको  चारों  thunderstorms – disappointment, frustration, unfairness and isolation के  बारे  में  बताया . आप  इनको  avoid नहीं  कर  सकते , मानसून  की  तरह  ये  भी  आपके  जीवें  में  बार -बार  आते  रहेंगे . आपको  बस  अपना  raincoat तैयार  रखना  है  ताकि  आपके  अन्दर  कि  चिंगारी  बुझने  ना  पाए .
मैं  एक  बार  फिर  आपका  आपके  जीवन  के  सबसे  अच्छे समय  में  स्वागत  करता  हूँ . अगर  कोई  मुझे  समय  में  वापस  जाने  का  option दे  तो  निश्चित  रूप  से  मैं  college वापस  जाना  चाहूँगा . मैं  ये आशा  करता  हुनक  की  दस  साल  बाद  भी  , आपकी  आँखों  में  वही  चमक  होगी  जो  आज  है , कि  आप  अपने  अन्दर  की  चिंगारी  को  सिर्फ  college में  ही  नहीं  बल्कि  अगले  2500 weekends तक  ज़िन्दा  रखेंगे . और  मैं  आशा करता  हूँ  की  सिर्फ  आप  ही  नहीं  बल्कि  पूरा  देश  इस  चिंगारी  को  ज़िन्दा  रखेगा , क्योंकि  इतिहास  में  किसी  भी  और  पल  से  ज्यादा  अब  इसकी  ज़रुरत  है . और  ये  कहना  कितना   अच्छा लगेगा कि —मैं  Billion Sparks की भूमि से वास्ता रखता हूँ .
 Thank You.

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