ईस भारत के वीर अनेको हमने ऐसे देखे है
प्राण गवॉ दी जिसने अपनी घुटने कभी ना टेके है
उस भारत के लाल है हम भी हमसे भी टकराना मत
नही तो ईस धरती को तेरे खुन से कर देंगे लथपथ
मातृभूमि के खातिर हम मुंडो की माल सजा देंगे
शत्रु जो आये भारत मे उसे मौत के घाट लगा देंगे
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह को जीवित देख ना पाये है
लेकिन अपने आपको हमने खुदीराम ही पाये है
वो अंग्रेजो कि कायर सेना हमसे ही थर्राई थी
कलकत्ता से राजधानी को दिल्ली मे बैठाई थी
बंगाल से ही शुरुआत हुई तब चिंगारी ही आग बनी
ईक ज्वाला भडक उठी सबमे भारत के लोगो के मन मे
अंग्रेजो भारत छोडो अब अब खड़े हो गये है हम सब
हम सब चढ़ गये थे फॉसी पर अपनी ईस देश की माटी पर
हो गया देश आजाद मेरा दो टूक हो गया छाती पर
भारत के कुछ गद्दारो ने ये पकिस्तान बनाया था
कुर्सी के कुछ मुख्तारो ने ये पकिस्तान बनाया था
ये पाकिस्तान बना करके भारत ने भुजा गवॉया है
वीरो की धरती पर ही वीरो का नही बुलाया है
वही पाक जो भारत था आज उसी से जलता है
पर सुन लो ऐ दुनिया वालो जंगल मे शेर ही चलता है
ईस भारत के वीर अनेको हमने ऐसे देखे है
प्राण गवॉ दी जिसने अपनी घुटने कभी ना टेके है |
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