Wednesday, 12 July 2017

पेड़ों की महिमा के विभिन्न पहलू.... Workship of Trees in India. #LoveTree #PedoKiMahima

पेड़ों के प्रदूषण, बाढ़, सूखे, हरियाली, मिट्टी के कटाव के नियंत्रण, पर्यावरण, मौसम, प्राकृतिक सौंदर्य आदि के साथ घने संबंध को तो हम सब जानते ही हैं.


इसके अतिरिक्त पेड़ स्वास्थ्य और धार्मिक आस्था से भी जुड़े हुए हैं इसलिए, हमारे पूर्वजों ने समय-समय पर इनकी पूजा का प्रावधान रखा था. हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को पुनर्जन्म देने की बात शायद कभी नहीं भूली जा सकती. आज भी विभिन्न जड़ी-बूटियां हमारे स्वास्थ्य की सुरक्षा का प्रमुख साधन बनी हुई हैं. आज सरकार भी एलोपैथी के साथ-साथ होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा पद्यति को प्रोत्साहन देने में पहल कर रही है. आदिकाल से पेड़ों की अकथनीय महिमा को माना जाता रहा है और उनकी महिमा के प्रति धन्यवाद को प्रकट करने तथा उन्हें स्मरण रखने के लिए संभवतः धार्मिक आस्था और प्रकृति को पूजने के साथ जोड़ दिया गया है. आइए वर्षा और वन-महोत्सव के इस पुण्य अवसर पर करोड़ों पेड़ों में से कुछ पेड़ों के धार्मिक पहलू व महत्त्व को जानने का प्रयत्न करें..
आर्य प्रकृति की पूजा करते थे. पेड़-पौधे और प्रकृति की तमाम चीजों को ईश्वर के रूप में देखते थे आर्य. लेकिन, धीरे-धीरे इन रिवाजों का अर्थ बदलने लगा. लेकिन, आज भी कई रीति और रिवाज जिंदा हैं. जानिए ऐसे पेड़ों के बारे में जो आज भी पूजे जाते हैं, जिनका धार्मिक महत्त्व कायम है….

अशोक का पेड़
अशोक का पेड़ धर्म से जुड़ा है. धार्मिक ग्रंथ रामायण जब तक पढा जाएगा, अशोक के पेड़ से जुड़े धार्मिक रिवाज निभाए जाएंगे. सीता माता को रावण ने अशोक वन में रखा था. माना जाता है कि अशोक का पेड़ कष्ट दूर करता है या जो कष्ट नहीं देता.

बरगद का पेड़
हिंदू कल्चर में वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ बहुत महत्त्व रखता है. इस पेड़ को त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक माना जाता है. हिंदू धर्म में इस वृक्ष को जीवन और मृत्यु का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि इस पेड़ को कभी नहीं काटना चाहिए. मान्यता है कि निःसंतान दंपति इसकी पूजा करें तो उन्हें लाभ होता है.

बेल का पेड़
भगवान शिव से जुड़े होने के कारण बेल के पेड़ का भी काफी धार्मिक महत्त्व है. कहा जाता है कि भगवान शिव को अगर बेलपत्र चढ़ाया जाए तो वे प्रसन्न होते हैं. मंदिरों और घर के आसपास बेल का पेड़ शुभ माना जाता है.

बांस का पेड़
श्रीकृष्ण की कल्पना बिना बांसुरी के नहीं की जाती. बांसुरी बांस से बनती है. इसलिए बांस के पेड़ का भी काफी धार्मिक महत्त्व है. अगर मनुष्य अपने अहंकार का त्याग कर दे और अपने अंतर्मन को खाली छोड़ दे तो कहते हैं श्रीकृष्ण की बांसुरी आपको बांसुरी की ध्वनि से मोह लेगी.

केले का पेड़
केले के पेड़ काफी पवित्र माना जाता है और कई धार्मिक कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है, केले के पत्तों में प्रसाद बांटा जाता है. माना जाता है कि समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा अच्छी होती है.

नारियल का पेड़
किसी शुभ कार्य से पहले नारियल फोड़ना अच्छा होता है. कई देवी-देवताओं को नारियल चढ़ाया जाता है. कहते हैं 5 साल तक नारियल के पेड़ को पानी दीजिए और उसके बाद फल देखिए. कहते हैं, नारियल पर तीन काले निशान भगवान शिव की आंखें होती हैं.

आम का पेड़
हमारे देश में आम के पेड़ का खासा धार्मिक महत्त्व है. इसे काफी पवित्र माना जाता है. इसकी लकड़ी और पत्ते कई धार्मिक आयोजनों में इस्तेमाल किए जाते हैं. घर के दरवाजे पर आम के पत्ते लटकाए जाते हैं, हवन में आम की लकड़ी जलाई जाती है. कलश स्थापना में भी इसका इस्तेमाल होता है। वहीं, बसंत पंचमी के दिन आम के पूलों को प्रयोग देवी सरस्वती की आराधना के लिए इस्तेमाल में लाए जाते हैं.

नीम का पेड़
नीम के पेड़ का औषधीय के साथ-साथ धार्मिक महत्त्व भी है. मां दुर्गा का रूप माने जाने वाले इस पेड़ को कहीं-कहीं नीमारी देवी भी कहते हैं. इस पेड़ की पूजा की जाती है. कहते हैं कि नीम की पत्तियों के धंएं से बुरी और प्रेत आत्माओं से रक्षा होती है.

पीपल का पेड़
संस्कृत भाषा में पीपल के पेड़ को अश्वत्था कहा जाता है. प्राचीन काल से इस पेड़ की पूजा होती है. कहते हैं कि बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे ही ज्ञान प्राप्त किया था. इसलिए इसे बोधि वृक्ष भी कहा जाता है. कहते हैं श्रीकृष्ण भी इसी के नीचे मरे थे, जिसके बाद कलियुग शुरू हुआ। कहा जाता है कि इस पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास है. महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए इस पेड़ की पूजा करती हैं. पीपल के पेड़ को काटना अशुभ माना जाता है.

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