Wednesday, 1 March 2023

क्या कभी आपको ऐसा लगा है ,BE PRACTICAL के नाम पर युवा को उसकी जड़ उसकी संस्कृति ,उसकी हक़ीक़त सबसे दूर कर दिया.

 क्या कभी आपको ऐसा लगा है की दिन और रात में कोई अंतर् ही नहीं है 

क्या कभी आपको ऐसा लगा है की स्वप्न और वास्तिकता में सत्य का भेद करना मुश्किल हो गया है /

क्या आपको अपने जीवन में पलटकर देखने पर ऐसा महसूस हुआ की शायद सब कुछ ही पीछे रह गया है, और मैं फिर भी चले जा रहा हूँ.

क्या कभी आपको ऐसा लगा है की मैं बस दुनिया को दिखने के लिए जॉब कर रहा हूँ ,

मेरी हसी भी बस एक बनावटी हसी है और अंदर से कही एक सवाल परेशान करता हो ....

की क्या बस ये ही सब था जिसके लिए इतना भाग दौड़ करके आये हैं , क्या ये ही वो सब जिसके लिए बचपन में जिद की जाती थी की बस एक बार बड़े हो जाये .

शायद काफी लोगो के जीवन में ये हालत आयी होगी ,...यदि हाँ तो आपने क्या किया ???

या करना चाहिए ???


बिलकुल हो सकता है की आप एक बहुत पॉजिटिव इंसान हो, जिंदगी की रेस में आगे बढ़ने के लिए बचपन की सब मस्ती कुर्बान कर के यहाँ तक पहुंचे भी हो . आपने कोई लक्ष्य निर्धारित भी किया हो और उसे प्राप्त भी कर लिया हो...

लेकिन अब ????

आखिर अब क्या किया जाये, हम में से कितने ही युवा आज इस मनोदशा से गुजर रहे हैं की उनके पास बिलकुल भी वक़्त नहीं हैं और उनके भीतर जो खालीपन है उसे भरने के लिए लिए उनके पास जो भी है सब नाकाफी है . 


सबके काम करते करते करते खुद के लिए वक़्त मिलना कब बंद हो गया ,पता ही नहीं चला . आगे बढ़ने के साथ साथ सही समय पर एक विश्राम लेना हर मुसाफिर की जरूरत ही तो है .

चलना जरुरी है, लेकिन भागना ..... वो भी खुद से , बिन मकसद के ,और यदि मकसद है भी तो इतना छोटा की जैसे ही पूरा हुआ तुरंत अनंत खालीपन अंदर आ जाता है.


घर ,परिवार,समाज,दोस्त, रिश्तेदार क्या कहेंगे इस डर से मन ही मन युवा खुद को एक दिखावटी मुस्कान के साथ खुश दिखने का झूठा प्रयास करता ही रहता है .


सच कहे तो किसे ?

 बात करे तो किससे ?

इस खालीपन  को साझा करे तो किसके साथ?



सच शायद ही कोई सुनना चाहता है .

या कोई सुनना ही नहीं चाहता .

उन्हें ये सुनना पसंद है की तुम अमुक नौकरी करके इतनी सैलरी ले रहे हो ...

ये भी सही है, उन्हें ये ही सुनना है,.

उन्हें खैरियत  से ज्यादा आपकी हैसियत की फ़िक्र है.


इसी बोझ को ढो रहा है आज का युवा ...

फिर उसे जो रस्ते दिखते हैं वो ले जाते हैं उसे नशे की और .,

या फिर सोशल मीडिया की अंतहीन ,लक्ष्यहीन दुनिया में ...

या फिर उनके बारे अख़बार में पढ़ना पड़ता है की अमुक युवा ने तनाव में उठाया गलत कदम .


क्यों मेरे भाई ???? 

BE PRACTICAL  के नाम पर युवा को उसकी जड़ उसकी संस्कृति ,उसकी हक़ीक़त सबसे दूर कर दिया ., और अब फ़िक्र होगी देश के भविष्य की .







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