Tuesday, 10 March 2015

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    Akhilesh Yadav.jpg
    युवा मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री
    अवलंबी
    कार्यालय ग्रहण 
    15 मार्च 2012
    पूर्वा धिकारी मायावती

    जन्म 1 जुलाई 1973 (आयु 41)
    ग्राम सैफई, जनपद इटावा, उत्तर प्रदेश
    राष्ट्रीयता भारतीय
    राजनीतिक दल समाजवादी पार्टी
    जीवन संगी डिम्पल यादव
    संबंध मुलायम सिंह यादव (पिता)
    राम गोपाल यादव (चाचा)
    शिवपाल सिंह यादव (चाचा)
    बच्चे अदिति व टीना (पुत्री)
    और अर्जुन (पुत्र)
    निवास ग्राम सैफई, जनपद इटावा, उत्तर प्रदेश
    शैक्षिक सम्बद्धता मैसूर विश्वविद्यालय
    सिडनी विश्वविद्यालय
    पेशा राजनेता
    धर्म हिन्दू
    अखिलेश यादव (जन्म: 1 जुलाई 1973) वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं। इससे पूर्व वे लगातार तीन बार सांसद भी रह चुके हैं।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश ने 2012 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व किया। उनकी पार्टी को राज्य में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद, 15 मार्च 2012 को उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री पद की शपथ ग्रहण की।
    अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को इटावा जिले के सैफई गाँव में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी मालती देवी के यहाँ हुआ। इनकी माँ का देहांत बचपन में ही हो गया था। अड़तीस वर्षीय अखिलेश विवाहित हैं और तीन बच्चों के पिता हैं। डिम्पल यादव उनकी पत्नी हैं जो कि कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गई हैं।
     
    अखिलेश ने राजस्थान मिलिट्री स्कूल धौलपुर से शिक्षा प्राप्त की[1]. उन्होंने अभियान्त्रिकी में स्नातक की उपाधि मैसूर के एस०जे० कालेज ऑफ इंजीनियरिंग से ली, बाद में विदेश चले गये और सिडनी विश्वविद्यालय से पर्यावरण अभियान्त्रिकी में स्नातकोत्तर किया[2][3].

    राजनीति में भागीदारी

    अखिलेश ने मई 2009 के लोकसभा उप-चुनाव में फिरोजाबाद सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी एस०पी०एस० बघेल को 67,301 मतों से हराकर सफलता प्राप्त की। इसके अतिरिक्त वे कन्नौज से भी जीते। बाद में उन्होंने फिरोजाबाद सीट से त्यागपत्र दे दिया और कन्नौज सीट अपने पास रखी।[4][5][6][7]

    मुख्यमन्त्री के रूप में

    मार्च 2012 के विधान सभा चुनाव में 224 सीटें जीतकर मात्र 38 वर्ष की आयु में ही वे उत्तर प्रदेश के 33वें मुख्यमन्त्री बन गये। जुलाई 2012 में जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उनके कार्य की आलोचना करते हुए व्यापक सुधार का सुझाव दिया तो जनता में यह सन्देश गया कि सरकार तो उनके पिता और दोनों चाचा चला रहे हैं, अखिलेश नहीं।
    उनकी सरकार को दूसरा झटका तब लगा जब एक आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलम्बित करने पर चारों ओर से उनकी आलोचना हुई। जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें नागपाल को बहाल करना पड़ा। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में 43 व्यक्तियों के मारे जाने व 93 के घायल होने पर कर्फ्यू लगाना पड़ा तथा सेना ने आकर स्थिति पर काबू किया। मुस्लिम व हिन्दू जाटों के बीच हुए इस भयंकर दंगे से उनकी सरकार की बड़ी किरकिरी हुई।

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